19 Jan-राष्ट्रीय सुरक्षा कानून क्या है


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🔵 राष्ट्रीय सुरक्षा कानून क्या है जिसके तहत दिल्ली पुलिस को मिला किसी को भी हिरासत में लेने का अधिकार?


• दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार प्रदान किया है. रिपोर्ट के अनुसार, यह नियमित आदेश है जो हर तीन महीने पर जारी किया जाता है.

• उपराज्यपाल अनिल बैजल की ओर से दिए गए आदेश के मुताबिक दिल्ली पुलिस आयुक्त को 19 जनवरी 2020 से शुरू होकर अगले तीन महीने तक के लिए एनएसए के तहत हिरासत में रखने की शक्तियां दी गई हैं. दिल्ली पुलिस आयुक्त को 18 अप्रैल तक किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया गया है.


◆ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून क्या है?

• अधिसूचना के अनुसार उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा तीन की उपधारा (3) का उपयोग करते हुए 19 जनवरी से 18 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया है.

• राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा हेतु सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. यह कानून सरकार को संदिग्घ व्यक्ति की गिरफ्तारी की शक्ति देता है. सरकार को अगर लगता है कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने की शक्ति दे सकती है.

• इस कानून के अंतर्गत जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है. इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है. अगर सरकार को ये लगे तो कोई व्यक्ति अनावश्यक रूप से देश में रह रहा है एवं उसे गिरफ्तारी की नौबत आ रही है तो वे उसे गिरफ्तार करवा सकती है.

• यह कानून ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है, जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था हेतु खतरा महसूस हो. इस कानून को 23 सितंबर 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान बनाया गया था

◆ इस कानून के तहत गिरफ्तारी की समय-सीमा

• इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को पहले तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है. उसके बाद आवश्यकतानुसार, तीन-तीन महीने हेतु गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है. यदि किसी अधिकारी ने ये गिरफ्तारी की हो तो उसे राज्य सरकार को बताना होता है कि उसने किस आधार पर ये गिरफ्तारी की है. अगर रिपोर्ट को राज्य सरकार स्वीकृत कर देती है तो इसे सात दिन के भीतर केंद्र सरकार को भेजना होता है. इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया है और राज्य सरकार का इसपर क्या विचार है तथा यह आदेश क्यों जरूरी है.

◆ सलाहकार समिति का गठन

• इस कानून के उद्देश्य से केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार आवश्यकता के अनुसार एक या एक से अधिक सलाहकार समितियां बना सकती हैं. इस कानून के अंतर्गत गिरफ्तार किसी व्यक्ति को तीन सप्ताह के अंदर सलाहकार समिति के सामने उपस्थित करना होता है. यदि सलाहकार बोर्ड व्यक्ति की गिरफ्तार के कारणों को सही मानता है तो सरकार उसकी गिरफ्तारी को एक उपयुक्त समय तक बढ़ा सकती है. यदि समिति गिरफ्तारी के कारणों को पर्याप्त नहीं मानती है तो गिरफ्तारी का आदेश रद्द हो जाता है तथा व्यक्ति को रिहा करना पड़ता है.